
देखें, खून के रिश्ते में शादी करने के क्या-क्या है कारण
आज के समय में खून के रिश्ते में शादी करना पाप माना जाता है हिन्दू धर्म में शादी करने से पहले दोनों परिवारों का गोत्र देखा जाता है गोत्र के साथ-साथ हिन्दू धर्म में दूर-दूर तक शादी न करवाने की परम्परा है जिसके मुताबिक किसी लड़के या लड़की की शादी किसी दूसरे ही गोत्र में होनी चाहिए
एक ही गोत्र में शादी करने से होने वाला बच्चा एक साथ एक से अधिक बीमारियों से पीड़ित हो सकता है आमतौर पर इस्लामिक समुदाय में खून के रिश्ते में शादी करने का प्रचलन बहुत ही ज्यादा है आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तानी समुदाय के बच्चो में मृत्यु दर और जन्म से विकलांग या कमजोर होने की दर सबसे अधिक होती है
इसका यही कारण होता है की पाकिस्तान में बच्चे अधिकतर विकलांगऔर कमजोर पैदा होते है जोकि कमजोर होने के कारण जल्द ही मर जाते है अगर यही लड़का दो अलग गोत्रो के रिश्तो से जन्म लेगा तो उसके अंदर दोनों ही गोत्रो के गुण पाए जाते है साथ ही बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से भी पूरी तरह स्वास्थ्य रहेगा
खून के रिश्ते में शादी का मुद्दा किसी धर्म या परंपरा से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है, जिसे कई बिंदुओं में आसानी से समझा जा सकता है।
1.पैदा होते समय बच्चो में विकलांगता या जन्म से ही बहुत कमोजरी होना- वैज्ञानिकों के अनुसार खुनी रिश्ते में शादी होने से पैदा होने वाले बच्चे जन्म से ही विकलांग होते है और छोटे बच्चे कमजोरी की वजय से टेढ़े-मेढ़े जन्म लेते है जोकि यह आने वाले जीवन के लिएब्यूट ही हानिकारक हो सकता है
2.धीमा होगा जींस का प्रभाव- आमतौर पर एक बच्चे के सभी गुण-दोष अपने माता-पिता से मिले-जुले होते है अगर माता पिता में सामान दोष है तो बच्चे में यह दोष बढ़ सकते है जिसके कारण बच्चो के घुटनों का दर्द रहना और किसी खतरनाक वस्तु के पास आने में एलर्जी का खतरा होना और कैंसर जैसी खास बीमारियों के लक्षण देखे जा सकते है