
प्यार से भरा मेरा गांव
गांव की तो बात ही क्या करें आजकल के लोग ज्यादा कमाने और ज्यादा टेक्नोलॉजी के कारन गांवों को छोड़ कर शहरों में चले गए हैं क्योंकि गांव के मुकाबले शहरों में पैसा आसानी से कमाया जाता है लेकिन हम सब ये भूल गए हैं की शहर पर आने से हम लोगों ने क्या खोया है लेकिन आज हर जंव शहर बनता जा रहा है क्योंकि जनसंख्या पर कोई रोक नहीं है और गांव में भी लोगों को हर तरह की टेक्नोलॉजी और मशीन चाहिए लेकिन मेहनत में जो मजा था वो किसी मशीन में नहीं है और हमने गांवों को छोड़ क्या-क्या खोया है आज हम इस बारे में बात करेंगे
प्रकृति – प्रकति से दूर जाकर लोगों ने बहुत कुछ खोया है लोग तजि हवा, सब्जियां, फल, जैसी चीजों के लिए तरस रहे हैं कुछ लोगों को इन चीजों की कमी के कारण जानलेवा बीमारियां भी हो चुकी हैं और कुछ लोग तो ताज़ी हवा के लिए तरस रहे हैं ये सब उन्होंने अपने मर्जी से चुना पहले के लोग प्रकति में रहते थे न कोई बीमारी न कोई दवाई न किसी डॉक्टर की जरूरत थी लेकिन आज तजि हवा लेने के लिए भी डॉक्टरों की सहायता लेनी पड़ती है
मशीनों से नुकशान – पहले मनुष्य गांव में मेहनत, मजदूरी और खेती करके तजि और शुद्ध चीजों का सेवन करते थे लेकिन आज मशीनों के कारण काफी काम आसान हो गए हैं लोगों ने शहर जाकर अपने कामों को आरामदायक और कमाई को बढ़ा लिया है और ये बात हम सब भी जानते हैं की इसके कारण हम लोग क्या खो रहे हैं पहले जो लोग मेहनत करते थे उनकी उम्र भी काफी लम्बी होती थी और आज लोग 60 साल की उम्र में ही बुढ़ापे के शिकार हो जाते हैं